Menu Close

Kahin Door Jab Din Dhal Jaye Lyrics in Hindi


Kahin Door Jab Din Dhal Jaye Lyrics in Hindi

कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे ख़यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर …

कभी यूँहीं, जब हुईं, बोझल साँसें
भर आई बैठे बैठे, जब यूँ ही आँखें
तभी मचल के, प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र न आए, नज़र न आए
कहीं दूर …

कहीं तो ये, दिल कभी, मिल नहीं पाते
कहीं से निकल आए, जनमों के नाते
घनी थी उलझन, बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराये, दर्द पराये
कहीं दूर …

दिल जाने, मेरे सारे, भेद ये गहरे
खो गए कैसे मेरे, सपने सुनहरे
ये मेरे सपने, यही तो हैं अपने
मुझसे जुदा न होंगे इनके ये साये, इनके ये साये
कहीं दूर …

Kahin Door Jab Din Dhal Jaye Lyrics in Hindi

Like and Share
+1
0
+1
0
+1
0

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Subscribe for latest updates

Loading