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Ghoor Ghoor Ke Lyrics in Hindi
[यूँ ना देखो साँवरिया घूर घूर के]x४
जब मेरी शरण में आता है
एक प्रेम का दीप जलाता है
फिर तुझको कुछ ना भाता है
तू बस मेरा हो जाता है
नहीं प्रेम से बढ़कर, राजपाठ
सिंहहसन और ये लोकलाज
ढोल लगते सुहाने हैं दूर दूर के
[यूँ ना देखो साँवरिया घूर घूर के]x४
कोई मढ़ इतना भी मदिर नहीं
जितनी मेरी अंगड़ाई है
हर रूप मेरा तुझको पुलकित
मेरा रोम-रोम पुरवाई है
तू प्रेम नगर का वासी
मैं प्रेम नगर की रानी
हाय मैंने पूरे पकाए हैं पुर पुर के
[यूँ ना देखो साँवरिया घूर घूर के]x४
मोरे नैन कमले कोमल चंचल
मेरी चित्तबन घटा निराली है
Ghoor Ghoor Ke Lyrics in Hindi
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