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O MERI LAILA Lyrics in Hindi
O MERI LAILA Lyrics in Hindi
पत्ता अनारों का, पत्ता चनारों का
जैसे हवाओं में
ऐसे भटकता हूँ, दिन रात दिखता हूँ
मैं तेरी राहों में
मेरे गुनाहों में, मेरे सवाबों में शामिल तू
भूली अठन्नी सी बचपन के कुरते में से मिल तू
रखूँ छुपा के मैं सबसे वो लैला
माँगूँ ज़माने से रब से वो लैला
कब से मैं तेरा हूँ, कब से तू मेरी लैला
तेरी तलब थी, हाँ तेरी तलब है
तू ही तो सब थी, हाँ तू ही तो सब है
कब से मैं तेरा हूँ, कब से तू मेरी लैला
ओ मेरी लैला लैला
ख्वाब तू है पहला
कब से मैं तेरा हूँ, कब से तू मेरी लैला
मांगी थी, दुआएँ जो
उनका ही असर है हम साथ हैं
ना यहाँ, दिखावा है
ना यहाँ दुनियावी जज़्बात है
यहाँ पे भी तू हूरों से ज्यादा हसीं
यानी दोनों जहानों में तुमसा नहीं
जीत ली है, आखिर में
हम दोनों ने ये बाज़ियाँ
रखूँ छुपा के मैं सबसे…
ज़ायका, जवानी में
ख़्वाबों में यार की मेहमानी में
मर्जियाँ, तुम्हारी हो
खुश रहूँ मैं तेरी मनमानी में
बंद आँखें करूँ, दिन को रातें करूँ
तेरी ज़ुल्फ़ों को सहला के बातें करूँ
इश्क में, उन बातों से हो
मीठी सी नाराज़ियाँ
रखूँ छुपा के मैं सबसे.. ..
O MERI LAILA Lyrics in Hindi